नौकरीपेशा हो या कारोबारी, टैक्स के मसले पर वे अक्सर सोच में पड़ जाते हैं। पर्सनल टैक्सेशन है ही ऐसी चीज और जरूरी नहीं कि सभी व्यक्ति इसकी विस्तृत जानकारी रखते ही हों। आज के लेख में हम पर्सनल टैक्सेशन से जुड़ी ऐसी छोटी-छोटी बातों की चर्चा करेंगे जिन्हें समझ कर आप लाभ उठा सकते हैं। आइए, एक-एक कर उनकी चर्चा करते हैं।

जीवन बीमा : शुरुआत हम जीवन बीमा के प्रीमियम से करते हैं। क्या आप जानते हैं कि भले ही आप अपने ऊपर आर्थिक रूप से निर्भर माता-पिता के जीवन बीमा का प्रीमियम भरें लेकिन आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कटौती का दावा नहीं कर सकते? हालांकि, आप अपने उन बच्चों के जीवन बीमा का प्रीमियम देकर आयकर में कटौती का लाभ ले सकते हैं जो आर्थिक रूप से आपके ऊपर निर्भर हों या नहीं। आप अपने विवाहित बेटे या बेटी के जीवन बीमा का प्रीमियम देकर भी आयकर में कटौती का लाभ उठा सकते हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम : आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत आप अपने परिवार और अपने माता-पिता के लिए दिए गए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर कटौती का लाभ पाते हैं। एक बात बड़ी दिलचस्प है कि भले ही आपके माता-पिता आपके ऊपर आर्थिक रूप से निर्भर न हों लेकिन आप उनके हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर कटौती का दावा कर सकते हैं।

0654_personal-taxइसके अलावा आप अपने आर्थिक रूप से स्वतंत्र पति या पत्नी के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर कटौती का दावा कर सकते हैं लेकिन बच्चों के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर कटौती का लाभ लेने के लिए उनका आपके ऊपर आर्थिक रूप से निर्भर होना जरूरी है। मजे की बात यह है कि आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत प्रस्तावित सीमा के तहत बच्चों की अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है।

होम लोन पर कटौती का लाभ : सबसे पहले बात करते हैं धारा 24बी की। होम लोन के ब्याज भुगतान पर कटौती का लाभ इस धारा के तहत मिलता है। आप इसका दावा रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के अलावा कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए भी कर सकते हैं लेकिन जहां तक धारा 80सी के तहत मूलधन के भुगतान पर कटौती के लाभ की बात है तो यह सिर्फ रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी तक ही सीमित है।

रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी, जिसमें आप खुद रहते हैं, के होम लोन के ब्याज भुगतान पर 1.50 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं लेकिन अगर वही प्रॉपर्टी आपने किराए पर दी हुई है तो आप मूल रूप से जितने ब्याज का भुगतान करते हैं, उसकी कटौती का दावा कर सकते हैं।

धारा 80सी के तहत कटौती का दावा आप केवल तभी कर सकते हैं जब आपने कर्ज विशेष संस्थानों जैसे बैंक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां, सरकारी नियोक्ता आदि से लिया हो लेकिन जहां तब धारा 24बी के तहत कटौती के दावे की बात है तो भले आपने अपने दोस्त या रिश्तेदारों से उधार लिया हो इसका लाभ उठा सकते हैं।

निवेश अवधि और इंडेक्सेशन : आम तौर पर लांग टर्म कैपिटल गेन के लिए निवेश की अवधि 36 महीने होनी चाहिए लेकिन शेयर, भारत में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों, म्यूचुअल फंडों के यूनिट और शून्य कूपन बांड के लिए निवेश अवधि सिर्फ 12 महीनों की होती है।

अगर किसी विदेशी कंपनी के शेयरों में भी निवेश किया गया हो तो वह लांग टर्म कैपिटल गेन के योग्य होगा यदि उसमें 12 से अधिक अवधि के लिए निवेश किया गया हो लेकिन अपंजीकृत या जो म्यूचुअल फंड भारत में रिकग्नाइज्ड नहीं है उनके लांग टर्म कैपिटल गेन के लिए अब भी निवेश की अवधि 36 महीने की है।

इसी प्रकार, अनइंडेक्स्ड गेन पर 10 प्रतिशत के हिसाब से और इंडेक्स्ड गेन पर 20 प्रतिशत के हिसाब से टैक्स चुनने का विकल्प केवल सूचीबद्ध प्रतिभूतियों, यूनिट और शून्य कूपन बांडों के लिए है और लांग टर्म कैपिटल गेन के लिए नहीं।

सूचीबद्ध शेयरों पर लांग टर्म और शॉर्ट टर्म गेन : सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों के लांग टर्म कैपिटल गेन पूरी तरह कर-मुक्त होते हैं अगर शेयरों की बिक्री किसी ब्रोकर के जरिए मान्य स्टॉक एक्सचेंजों पर बेचे जाते हैं।

इसलिए जब आप इक्विटी शेयर ओपन ऑफर या बायबैक के दौरान बेचते हैं तो भले ही आपने शेयरों में अपना निवेश 12 महीने से अधिक अवधि के लिए बनाया हुआ हो लेकिन आपको इस पर 20.60 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा। हालांकि, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंडों के यूनिटों के मामले में लांग टर्म कैपिटल गेन पूरी तरह कर-मुक्त होता है चाहे आप इसे स्टॉक एक्सचेंज पर बेचे या म्यूचुअल फंड कंपनी के जरिए भुनाएं।

आम तौर पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स उसी हिसाब से लगाया जाता है जिस कर-वर्ग में आप आते हैं लेकिन जब आप कोई सूचीबद्ध शेयर स्टॉक ब्रोकर के जरिए बेचते हैं तो उस पर 15.45 प्रतिशत के हिसाब से टैक्स देना होता है भले ही आप किसी भी वर्ग में आते हों। अगर आप यही शेयर बायबैक या ओपन ऑफर के दौरान बेचते हैं तो आपको 10.30 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा।

ट्यूशन फीस और शिक्षा ऋण का ब्याज : आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत आप दो बच्चों की भारत में पढ़ाई के लिए ट्यूशन फीस के भुगतान पर कटौती का दावा कर सकते हैं लेकिन धारा 80ई के तहत शिक्षा ऋण के ब्याज के भुगतान पर आप कटौती का दावा तब भी कर सकते हैं जब आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा हो।

धारा 80सी के तहत आप सिर्फ दो बच्चों की ट्यूशन फीस के भुगतान पर कटौती का कर सकते हैं जबकि एजुकेशन लोन में अगर आप बॉरोवर या को-बॉरोवर हैं तो दो से अधिक बच्चों के शिक्षा ऋण के ब्याज के भुगतान पर भी कटौती का दावा कर सकते हैं।

इसके अलावा शिक्षा ऋण के केवल ब्याज के भुगतान पर कटौती का लाभ मिलता है वह भी तब जब उसका भुगतान वर्ष के भीतर किया गया हो। हालांकि, होम लोन के मामले में मूलधन के पुनर्भुगतान पर भी कटौती का लाभ मिलता है। इसके अतिरिक्त, होम लोन के ब्याज के पुनर्भुगतान पर कटौती का लाभ बकाए ब्याज के आधार पर मिलता है जबकि शिक्षा ऋण के मामले में यह वास्तविक पुनर्भुगतान पर निर्भर करता है।

एलटीए पर टैक्स का लाभ : लीव ट्रैवल असिस्टेंस यानी एलटीए के लाभ का दावा आप स्वयं, अपने पति या पत्नी, बच्चे, माता-पिता और भाई-बहन के लिए कर सकते हैं। पति या पत्नी और बच्चों के लिए आप एलटीए के लाभ का दावा तब भी कर सकते हैं जब वह आपके ऊपर आर्थिक रूप से निर्भर न हों।

माता-पिता और भाई-बहन के लिए अगर आप एलटीए का दावा करने की सोच रहे हैं तो यह जरूरी है कि वह मुख्य रूप से या पूरी तरह आप पर आर्थिक रूप से निर्भर हों। एलटीए के लाभ का दावा सिर्फ उन दो बच्चों के लिए किया जा सकता है जिनका जन्म पहली अक्टूबर 1998 के बाद हुआ हो, हालांकि, अगर बच्चे का जन्म इस तारीख से पहले हुआ है तो फिर बच्चों की संख्या एलटीए के दावे की राह में रोड़ा नहीं बनती।

टैक्सेशन की दिलचस्प बातें
: भले ही आप अपने ऊपर आर्थिक रूप से निर्भर माता-पिता के जीवन बीमा का प्रीमियम भरें लेकिन आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कटौती का दावा नहीं कर सकते।
: आप अपने उन बच्चों के जीवन बीमा का प्रीमियम देकर आयकर में कटौती का लाभ ले सकते हैं जो आर्थिक रूप से आपके ऊपर निर्भर हों या नहीं ।
: बच्चों के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर कटौती का लाभ लेने के लिए उनका आपके ऊपर आर्थिक रूप से निर्भर होना जरूरी है। भले ही आपके माता-पिता आपके ऊपर आर्थिक रूप से निर्भर न हों लेकिन आप उनके हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर कटौती का दावा कर सकते हैं ।
: आयकर अधिनियम की धारा 24बी के तहत होम लोन के ब्याज के भुगतान पर कटौता का लाभ रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल दोनों तरह की प्रॉपर्टी पर मिलता है, लेकिन 80सी का लाभ सिर्फ रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के मूलधन के पुनर्भुगतान पर मिलता है ।

Source: Dainik Bhaskar