AIRF will oppose Debroy Panel report tooth and nail – Com. Shiva Gopal Mishra

बिबेक देबरॉय समिति की सिफारिशों को लेकर कर्मचारी यूनियनों के फेडरेशन पदाधिकारी और बिबेक देवरॉय आमने सामने बैठक करेंगे। इस बैठक में समिति की उन सभी सिफारिशों को लेकर कर्मचारी यूनियनों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया जाएगा, जिनका वह विरोध कर रहे हैं। बैठक में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष समेत सभी सदस्य मौजूद रहेंगे। गौरतलब है कि रेलवे की आर्थिक हालत सुधारने के लिए बिबेक देबरॉय समिति की सिफारिशें आने के बाद से ही कर्मचारी यूनियनें इसका पुरजोर विरोध कर रही हैं। ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने एक सप्ताह तक रेलकर्मियों के बीच जागरूकता अभियान चलाने के बाद काला दिवस भी मनाया था। कर्मचारी यूनियनें रेलवे के निजीकरण के विरोध में हैं। उनका कहना है कि इससे कर्मचारियों के हित प्रभावित होंगे। रेलवे की अन्य शीर्ष फेडरेशन भी इस मुद्दे पर एकजुट हैं। इस मुद्दे पर फेडरेशन की ओर से रेलमंत्री सुरेश प्रभु को एक प्रतिवेदन भी दिया गया था। इसमें मांग की गई थी कि रेलवे, रेलकर्मियों और रेल उपभोक्ताओं के हित में देबरॉय समिति की सिफारिशों को लागू न किया जाए। इस बीच, समिति की सिफारिशों को लेकर रेलवे बोर्ड के स्तर पर भी मंथन किया गया। हालांकि अब तक सिफारिशों को लेकर रेलवे ने कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है। सूत्रों के अनुसार, समिति की सिफारिशों के सिलसिले में कर्मचारी यूनियनों के शीर्ष फेडरेशन पदाधिकारियों की बृहस्पतिवार को रेलमंत्री सुरेश प्रभु के साथ मुलाकात हुई। मुलाकात के दौरान पदाधिकारियों ने दो टूक कह दिया कि रेलवे और रेलकर्मियों के हितों की अनदेखी करने वाली किसी भी सिफारिश को मानने के लिए वह तैयार नहीं होंगे। यदि इन सिफारिशों को उन थोंपने की कोशिश की गई तो रेलकर्मियों को अपने हितों की रक्षा करने के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाना होगा। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने पदाधिकारियों को एक बार फिर आश्वासन दिया कि रेलवे का निजीकरण किसी भी हालत में नहीं किया जाएगा, लेकिन यह भी सच है कि बिना पूंजी जुटाए रेलवे का विकास नहीं हो सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि समिति की सिफारिशों को लेकर एक बार वे समिति के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय के साथ बैठक करें और अपनी आशंकाएं उनके सामने रखें। बैठक में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्य भी शामिल रहेंगे। इस संबंध में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्र का कहना है कि उन्हें रेलमंत्री सुरेश प्रभु पर पूरा भरोसा है। फिर भी देबरॉय समिति की सिफारिशों का लेकर निजीकरण की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। यदि निजी क्षेत्र से पूंजी का निवेश रेलवे में होगा, तो जाहिर है कि उसका निजीकरण भी होगा। रेलवे के जिस क्षेत्र में निजी पूंजी निवेश होगा, वहां का काम भी निजी हाथों में चला जाएगा।
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