संभव है कि रेलकर्मी 11 दिसम्बर से वर्क टू रूल के हिसाब से काम करें। इसका मतलब है कि जितने घंटे की ड्यूटी नियमानुसार निर्धारित है, उतने घंटे की ड्यूटी कर्मचारी करें। इसका आह्वान ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने किया है। लिहाजा, वर्क टू रूल की खातिर कर्मचारियों को प्रेरित और प्रदर्शन करने के लिए धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है।
यह धरना-प्रदर्शन रेलवे के जोनल, मंडल मुख्यालयों, कारखानों और स्टेशनों पर किया जा रहा है। यह जानकारी ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्र ने दी। उन्होंने बताया कि रेलकर्मियों की उपेक्षा करने और उनकी मांगों को नहीं मानने के विरोध में एक नवम्बर को कोटा में आयोजित अधिवेशन में वर्क टू रूल का फैसला लिया गया है। कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन, फिटमेंट फामरूला में सुधार, राष्ट्रीय पेंशन नीति (नई पेंशन नीति) में गारंटी पेंशन की व्यवस्था प्रमुख मांगें हैं।
इसके लिए 26 नवम्बर से जनजागरण चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों पर काम का अधिक बोझ है। उन्हें निर्धारित ड्यूटी के घंटों के अतिरिक्त काम करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि 11 दिसम्बर के वर्क टू रूल के संकल्प को सफल बनाने के लिए जोनल, मंडल मुख्यालयों, कारखानों और स्टेशनों पर चल रहे धरना प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कर्मचारी भाग ले रहे हैं।
आज उत्तर रेलवे बड़ोदा हाउस और पुरानी दिल्ली स्टेशन पर हुए धरना-प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर कर्मचारी भाग ले रहे हैं। इससे जाहिर हो रहा है कि कर्मचारी संकल्प को पूरा करने के लिए आगे आ रहे हैं। कर्मचारियों को लगने लगा है कि लगातार मांग के बावजूद रेल प्रबंधन उनकी सुन नहीं रहा है। ऐसे में अपने जान को जोखिम में डालकर ज्यादा काम करने की जरूरत नहीं रह गई है। इससे यह भी लगता है कि सरकार उन्हें वर्क टू रूल के लिए मजबूर कर रही है।