आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ) के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि देश में रेलकर्मियों, मजदूरों और किसानों की एक जैसी स्थिति हो गई है। एआइआरएफ अन्नदाता किसानों के आंदोलन का समर्थन करता है। हालांकि, रेलमंत्री पीयूष गोयल से वार्ता हुई है। उन्होंने एक से दो दिन में समाधान निकालने का आश्वासन दिया है। लेकिन किसानों ने जो लड़ाई शुरू की है वह अब रुकने वाली नहीं है। सरकार नए कानून बनाकर अंग्रेजों के जमाने को याद दिला रही है। एआइआरएफ के महामंत्री बुधवार को रेलवे स्टेशन के एसी सभागार में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय की तरफ से देश भर में 150 प्राइवेट ट्रेनों को चलाने की योजना है। कारखानों और उत्पादन इकाइयों को निगम बनाने की तैयारी कर रहा है लेकिन फेडरेशन उसकी मंशा सफल नहीं होने देगा। निजीकरण और निगमीकरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन का खाका तैयार किया जा रहा है। रेल बचाओ- देश बचाओ अभियान के तहत एआइआरएफ ने एनएफआइआर को साथ लेकर 17 संगठनों के सहयोग से एक मंच राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसीआरएस) का गठन किया गया है। यह मंच देश के 7600 स्टेशनों को केंद्र बनाकर एक साथ आंदोलन करेगा। जरूरत पड़ी तो मंच रेल का चक्का भी जाम करेगा।
यूनियनों को समाप्त करने की साजिश रच रही सरकार एआइआरएफ के महामंत्री ने कहा कि सरकार देश की कर्मचारी यूनियनों को समाप्त करने की साजिश रच रही है। रेलवे में कर्मचारी संगठन की मान्यता के लिए 51 फीसद मत को अनिवार्य कर दिया है। अन्यथा की स्थिति में सभी कर्मचारी संगठनों को एसोसिएशन का दर्जा दे देगी। यूनियन इसका विरोध करती है। चुनाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि यूनियन चुनाव के लिए तैयार है, लेकिन सरका नहीं चाह रही है। चुनाव से जरूरी है रेलवे को बचाना। फेडरेशन का पूरा ध्यान निजीकरण और निगमीकरण के खिलाफ लड़ाई पर है।
बोर्ड में रखे गए हैं रात्रि भत्ता कटौती और पदोन्नति के मामले एआइआरएफ के महामंत्री ने बताया कि रेलवे बोर्ड के समक्ष रात्रि भत्ता कटौती बंद करने, यात्रा भत्ता (टीए) और समयोपरिभत्ता (ओवर टाइम एलाउंस) की भी कटौती नहीं करने, 1800 ग्रेड पे व 4600 ग्रेड पे पर तैनात कर्मचारियों को पदोन्नति, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए आयोजित होने वाली विभागीय पदोन्नति परीक्षा को ओपेन कराने की मांग रखी गई है। अंत में उन्होंने कहा कि 30 वर्ष की नौकरी या 55 वर्ष उम्र पूरी कर चुके रेलकर्मियों को जबरन सेवानिवृत्ति से डरने की जरूरत नहीं है।