एफडीआई पर सरकार के रुख से खफा रेल्‍वे की यूनियनें

नई दिल्ली। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर रेलवे यूनियनें शंकालु हो उठी हैं। उनका कहना है कि सरकार ने उनसे चर्चा के बगैर रेलवे में एफडीआई की अनुमति देने जैसा इतना बड़ा फैसला ले लिया। इस संबंध में उन्होंने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।

यदि उनकी शंकाओं का समाधान नहीं हुआ तो वे राष्ट्रव्यापी आंदोलन में अखिल भारतीय श्रम यूनियनों का साथ दे सकती हैं। सरकार ने हाल ही में रेलवे में 100 फीसद एफडीआइ की इजाजत दी है।

इस संबंध में ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) के नेतृत्व में रेलवे यूनियनों की आठ सितंबर को रेलवे बोर्ड चेयरमैन के साथ बैठक होनी है। इसमें नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआईआर) तथा इंडियन रेलवे प्रमोटी ऑफिसर्स फेडरेशन (आईआरपीओएफ) के प्रतिनिधि भी शामिल हो सकते हैं। बैठक में एफडीआई से जुड़े मुद्दों पर कुछ सवालों के जवाब मांगे जाएंगे।

मसलन, एफडीआई के बहाने रेलवे का निजीकरण तो नहीं होगा। यदि विदेशी कंपनियां केवल मुनाफे वाले व्यवसायों में निवेश करेंगी तो घाटे वाले व्यवसायों का क्या होगा। कहीं रेलवे की हालत एयर इंडिया जैसी न हो जाए। ओपन स्काई नीति के तहत मुनाफे वाले रूट निजी एयरलाइनों को दे दिए गए, जबकि घाटे वाले एयर इंडिया के लिए बचे हैं। एफडीआई के बाद रेलकर्मियों की छंटनी तो नहीं होगी?

एआईआरएफ के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा के मुताबिक शंकाएं इसलिए उठ रही हैं, क्योंकि सरकार ने यूनियनों को भरोसे में लिए बगैर एफडीआई जैसा कदम उठा लिया है। श्रम कानूनों में संशोधन के मामले में भी सरकार का यही रवैया रहा है।

अखिल भारतीय श्रम यूनियनों- इंटक, एटक, बीएमएस, एचएमएस को भरोसे में नहीं लिए बगैर फैक्ट्री कानून, अप्रेंटिसशिप एक्ट और लेबर एक्ट में संशोधन के बगैर विधेयक संसद में पेश कर दिए गए। यही वजह है कि श्रम यूनियनें भी सरकार से खफा हैं। यूनियनें आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए 15 सितंबर को मिल रही हैं।

इस बैठक में रेलवे यूनियनों को भी बुलाया गया है। यदि रेलवे यूनियनें सरकार के उत्तर से संतुष्ट नहीं हुईं तो वे इस बैठक में पारित प्रस्तावों को अपना समर्थन देंगी।

एफडीआई के अलावा रेलवे यूनियनों की अन्य मांगे भी हैं। इनमें नई पेंशन स्कीम को खत्म कर पुरानी बहाल करना प्रमुख है। इन मांगों पर विचार करने का वादा पिछली सरकार ने किया था। नई सरकार ने अब तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। लिहाजा रेलवे यूनियनें 19 सितंबर को देश भर में विरोध दिवस मनाएंगी।