पठानकोट के शहीदों को एनआरएमयू श्रद्धांजलि
भारतीय रेल को बचाने के लिए जान की बाजी लगा देंगे : शिवगोपाल मिश्रा
सरकार को चेतावनी , हमने अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी है : एस के त्यागी
पठानकोट, 19 सितंबर । पठानकोट में 1968 की रेल हडताल में शहीद हुए कर्मचारियों की पुण्यतिथि पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने शहीदों की धरती से ऐलान किया कि भारतीय रेल को बचाने के लिए जान की बाजी लगा देगें, सरकारी कर्मचारी अब सरकार के धोखे में आने वाले नहीं है, उन्हें श्रमिक विरोधी सरकार असलियत का अंदाजा हो गया है। यूनियन के अध्यक्ष एस के त्यागी ने कहाकि एआईआरएफ का गठन आजादी के पहले हुआ था और हमने अपनी मांग पूरी कराने के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी है, उन्हें भी हमारी ताकत के आगे झुकना पड़ा था।

शहीदी दिवस के अवसर आयोजित सभा में महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने शहीदों की धरती पर संकल्प दोहराया कि भारतीय रेल और भारतीय रेल कर्मचारियों के लिए यूनियन के एक एक कार्यकर्ता जान की बाजी लगाने से भी पीछे रहने वाला नहीं है, शहीदों को श्रद्धांजलिए देने और उन्हें याद करने से हम सभी को संघर्ष के लिए ऊर्जा मिलती है और इसी ऊर्जा के दम पर हम अपनी मांगो के लिए किसी से भी टकराने से पीछे हटने वाले नहीं है। महामंत्री ने कहाकि जब में शहीदों के परिवार से मिलता हूं तो हमें इन पर गर्व होता है, क्योंकि इन्होंने लाखों रेलकर्मचारियों के लिए अपने बेटे की कुर्बानी दी है। वैसे सच तो ये है कि जिन मांगो को लेकर इन शहीदों ने कुर्बानी दी, वो मुश्किलें आज भी बनी हुई है, बल्कि हम ये कहें की समस्या और भी गंभीर हुई तो गलत नहीं होगा।

भारतीय रेल को बचाने के लिए ही एआईआरएफ ने देश भर में 16 से 19 सितंबर तक चेतावनी सप्ताह का आयोजन किया, ताकि सरकार को बताया जा सके कि देश भर के कर्मचारी एकजुट हैं और अगर हमारी अनदेखी हुई , रेल के निजीकरण और निगमीकरण की ओर सरकार ने कदम बढ़ाया तो देश भर के कर्मचारी रेल का चक्का जाम करने से भी पीछे हटने वाले नहीं है। महामंत्री ने कहाकि आज हमारी मेहनत की भी अनदेखी हो रही है, हमने सरकार को पहले ही बताया कि इस बार हमारे रेल कर्मचारियों ने काफी मेहनत की है, यात्री किराया और माल भाड़े से होने वाली आय में बढ़ोत्तरी की है, हमने निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक की कमाई की है, 22 हजार ट्रेनों के जरिए रोजाना ढाई करोंड यात्रियों को देश भर में एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाया है, इसलिए इस बार हमें पीएलबी बढ़ कर मिलना चाहिए। रेलवे बोर्ड भी हमारी बातों से सहमत रहा है, इसके बाद भी सरकार ने निराश किया है।

महामंत्री ने कहाकि बात 78 दिन या 80 दिन के बोनस से ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि सरकार कर्मचारियों के मान सम्मान की रक्षा नहीं कर रही है, मजदूरों से हितों को संरक्षित नहीं किया जा रहा है। आज पूरी सरकार उद्योगपतियों और कारपोरेट घरानों के हांथो की कठपुतली बनी हुई है। सरकार की हर योजना कुछ खास लोगों के लिए ही बनाई जा रही है। महामंत्री ने कहाकि जो हालात मैं देख रहा हूं उससे तो यही लगता है कि सरकार रेलकर्मचारियों की मांगो को लेकर कत्तई गंभीर नहीं है। वरना उन मांगो को अब तक पूरा कर चुकी होती, जिस पर हमारी सहमति बन चुकी है।

आज जब आईटीएफ की तरफ से दुनिया भर की रेलों को लेकर पेरिस में इंटरनेशनल कान्फ्रेंस हो रहा है , वहां भी रेल के निजीकरण के खतरों की चर्चा हो रही है। इतिहास गवाह है कि जहां कहीं भी रेल का निजीकरण हुआ है, वहां व्यवस्था चौपट हुई है। कई देश तो निजीकरण करने के बाद रेल को वापस सरकारी क्षेत्र में ला रहे हैं । मैं नहीं कहता की सरकार के 100 दिन के एजेंडे का मैं विरोधी हूं, रेल के विकास के लिए जो भी फैसले रेल और कर्मचारियों के हित में है, उसे हम स्वीकार करेंगे, लेकिन जिससे कर्मचारियों को अहित होगा, भारतीय रेल निजीकरण की कोशिश होगी, उसका हर स्तर पर न सिर्फ विरोध होगा, बल्कि देश भर में आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के आह्वान पर 24 घंटे के भीतर रेल का चक्का भी जाम होगा।

महामंत्री ने सरकार के नीतियों की आलोचना करते हुए कहाकि संसद के अगले सत्र के दौरान दिल्ली मे देश भर के केंद्रीय कर्मचारी, राज्यकर्मचारी, शिक्षक, बैंक बीमा कर्मचारियों के अलावा सभी दूसरे क्षेत्र के श्रमिक जुटेंगे और पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग करेंगे, अगर सरकार ने हमारी बातें न सुनीं को उसी दिन भारत बंद का आह्वान किया जाएगा।

एनआरएमयू के अध्यक्ष एस के त्यागी ने शहीदों को याद करते हुए कहाकि उस वक्त भी आंदोलनकारी महज वेतन भत्ते की ही मांग कर रहे थे, उनका आंदोलन भी पूरी तरह शांतिपूर्ण था, लेकिन सरकार ने बगैर किसी तरह की चेतावनी दिए रेल मजदूरों पर गोली बरसा दी, इसमें हमारे चार रेलकर्मचारियों कामरेड देवराज, कामरेड राज बहादुर, कामरेड गुरुदीप और कामरेड लक्ष्मण सिंह शहीद हो गए, जबकि इस गोली बारी में एक किन्नर गामा समेत कुल पांच लोगों की घटनास्थल पर ही शहीद हो गए। कई लोगों के परिवार के सदस्य भी इस गोलीबारी जख्मी हुए। श्री त्यागी ने कहाकि आज भी हालात खराब है, हमारी जायज मांगों की अनदेखी हो रही है, हमें उकसाया जा रहा है, लेकिन आज शहीदों की धरती पर हम संकल्प लेने आएं है कि जब तक शरीर मे खून का आखिरी कतरा भी रहेगा, हमारे साथी अपने हक की लड़ाई से पीछे हटने वाले नहीं है। हमने अपनी ताकत के बल पर अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी है और आज हम सरकार से भी दो दो हाथ करने से पीछे हटने वाले नहीं है।

शहीदों की श्रद्धांजलि सभा को कम्यूनिष्ट नेता मंगत राम पासवा ने भी संबोधित किया । इस सभा में मुख्य रूप से केंद्रीय उपाध्यक्ष महिला चेयरपर्सन प्रवीना सिंह , आईटीएफ/ एआईआरएफ की यूथ कन्वीनर प्रीति सिंह, दिल्ली मंडल मंत्री अनूप शर्मा, लखनऊ के मंडल मंत्री आर के पांडेय, अंबाला मंडल मंत्री सीएस बाजवा ,कारखाना के मंडल मंत्री अरुण गोपाल मिश्रा, लेखा के मंडल मंत्री उपेन्द्र सिंह, मुरादाबाद मंडल मंत्री राजेश चौबे, केंद्रीय उपाध्यक्ष एस यू शाह, आर ए मीना, सुभाष शर्मा, दलराज सिंह, केंद्रीय पूर्व उपाध्यक्ष प्रवीन कुमार, सहायक महामंत्री विक्रम सिंह, केंद्रीय कोषाध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव के साथ ही आरसीएफ मेन्स यूनियन के जोनल सेकेटरी एल एन पाठक समेत यूनियन के तमाम बड़े नेता मौजूद थे। इस दौरान शहीद के परिवारों को आर्थिक सहायता के साथ ही उन्हें कुछ जरूरत के सामान भी उपहार स्वरूप भेंट किया गया । कार्यक्रम का संचालन मंडलमंत्री फिरोजपुर शिवदत्त शर्मा ने किया, अध्यक्षता फिरोजपुर मंडल के अध्यक्ष कुलविंदर सिंह ग्रेवाल ने किया।